Sunday 10 November 2019

فریج وچ پیا ٹماٹر. Punjabi Story

فریج  وچ  پیا  ٹماٹر
لیکھک
مخدوم  ٹیپو  سلمان



میں  کسے  نوں  دسدا  نہیں۔  جے  دس  دتا  تے  ایہناں  مینوں  رسے  پا  کے  پاگلاں  دے  ڈاکٹر  کول  لے  جانا  اے  جنہیں  دوائیاں  کھوا  کھوا  کے  میری  مت  مار  چھڈنی  اے۔  ڈاکٹر  جو  پاگلاں  دا  ہویا۔
ایسے  لئی  میں  ایہناں  نوں  دسدا  نہیں  بئی  میں  ٹھیک  ہو  گیا  واں۔  ایہہ  سارے  پاگل  جو  ہین۔  ایہناں  نوں  پتہ  لگ  گیا  تے  ایہناں  نے  مینوں  فیر  پاگل  کر  چھڈنا  اے۔
مینوں  پہلاں  ای  لگن  لگ  پیا  سی  بئی    یہناں  نوں  کجھ  شک  جیہا  پے  گیا  اے۔  کئی  واری  انج  ہوندا  کہ  دو  تن  جی  کھسر  پھسر  پئے  کردے  ہوندے،  تے  مینوں  ویکھدے  ای  چپ  چاں۔  اتوں  جے  میں  غور  نال  ویکھدا  تے  اگوں  اوہ  وی  مینوں  غور  غور  نال  ویکھن  لگ  پیندے۔

Tuesday 1 October 2019

جلیانوالہ باغ۔ اردو

جلیانوالہ باغ
از
مخدوم  ٹیپو  سلمان


انگریز  سرکار  کو  خطرہ  تھا  کہ  پہلی  جنگ  عظیم  (1918-1914ء)  کے  دوران  کہیں  ہندوستانی  اسکے  خلاف  بغاوت  نہ  کر  دیں۔  مگر  گاندھی  سمیت  بہت  سارے  بڑے  ہندوستانی  لیڈروں  نے  جنگ  کے  دوران  انگریز  سرکار  کا  ساتھ  دیا۔  ان  کا  خیال  تھا  کہ  پہلی  جنگ  عظیم  میں  انگریز  سرکار  کا  ساتھ  دینے  سے  اور  ہندوستانیوں  کو  انگریز  فوج  میں  شامل  ہو  کر  جرمنوں،  اطالویوں  اور  جاپانیوں  کے  خلاف  لڑنے  کی  ترغیب  دینے  کے  انعام  کے  طور  پر  جنگ  جیتنے  کے  بعد  انگریز  سرکار  ہندوستان  کو  بھی  ڈومینیئن  قرار  دے  کر  اسی  طرح  تقریباً  آزاد  کر  دے  گی  جس  طرح  وہ  کینیڈا  اور  آسٹریلیا  کو  پہلے  ہی  کر  چکی  تھی۔ 

Monday 30 September 2019

جلیاںوالہ باغ ۔ پنجابی

جلیاںوالہ  باغ

 لیکھک
مخدوم ٹیپو سلمان




انگریز  سرکار  نوں  خطرہ  سی  کہ  پہلی  وڈی  جنگ  (1914-1918ء)  دے  دوران  کتھے  ہندوستانی  اوہدے  خلاف  بغاوت  نہ  کر  دین۔  پر  گاندھی  سمیت  بہت  سارے  وڈے  ہندوستانی  لیڈراں  نے  جنگ  دے  دوران  انگریز  سرکار  دا  ساتھ  دتا۔  ایہناں  دا  خیال  سی  کہ  پہلی  وڈی  جنگ  وچ  انگریز  سرکار  دا  ساتھ  دین  تے  ہندوستانیاں  نوں  انگریز  فوج  وچ  شامل  ہو  کے  جرمناں،  اطالویاں  تے  جاپانیاں  دے  خلاف  لڑن  دی  ہلا  شیری  دین  دے  انعام  دے  طور  تے  جنگ  جتن  پچھوں  انگریز  سرکار  ہندوستان  نوں  وی  ڈومینیئن  قرار  دے  کے  اوسے  طرحاں  تقریبن  ازاد  کر  دوے  گی  جسراں  اوہ  کینیڈا  تے  آسٹریلیا  نوں  پہلاں  ای  کر  چکی  سی۔  ایس  جنگ  وچ  13  لکھ  ہندوستانی  انگریز  ولوں  لڑے  جیہناں  وچوں  پنجاہ  ہزار  مارے  گئے  تے  ستر  ہزار  پھٹڑ  ہوئے۔  پر  جدوں  جنگ  مکی  تے  انگریز  سرکار  نے  ہندوستان  نوں  ازاد  کرن  توں  انکار  کر  دتا۔  ایس  واستے  ہندوستانیاں  تے  انگریزاں  وچ  تناؤ  ودھی  جاندا  سی  تے  انگریز  سرکار  دے  ورتاء  وچ  بدلاء  پیا  ہوندا  سی۔  جنگ  وچ  ہندوستان  دی  معیشت  تباہ  ہو  چکی  سی  تے  ہر  پاسے  مہنگائی  تے  بے  روزگاری  دا  رولا  سی۔    1918ء  وچ  دنیا  بھر  وچ  سپینش  فلو  دی  جان  لیوا  وباء  پھیل  گئی  جیہدے  توں  دس  کڑوڑ  لوک  مارے  گئے۔  ہندوستان  وچ  ایس  بماری  توں  دو  کڑوڑ  دے  نیڑے  تیڑے  لوکی  مر  گئے،  جیہدی  وجہا  توں  سارے  ہندوستان  وچ  تھرتھلی  جیہی  پئی  ہوئی  سی۔ 

Saturday 13 July 2019

How To Kill Depression?



How To Kill Depression?

By

Tipu Salman Makhdoom



Depression is a sure shot killer. A lethal disease. More than a disease, it’s a germ and a virulent one. Once it gets access in you, it’s only a matter of time before it will start spreading in you like the twilight darkness. And once it has spread its tentacles deep into your thinking patterns, there will be little you could do except seeking medical help. However, there is a lot that you can do to uproot depression when it is trying to grow in you, or better still, to avoid it altogether.

Saturday 29 June 2019

Picture-Flash Fiction

Picture
by
Tipu Salman Makhdoom


It was ten. In the June of Lahore, ten is not morning. It’s scorching and the sun is at seventy degrees. Rising at five, sun is almost half way it’s daily journey already. Everything looks exhausted by this time. It was in that midday kind of slumber that I saw that picture; on Facebook. Some newspaper had published it at the top of a story. It was a tropical type of a river bed. A man was lying facing down. From the neck of his wet T-Shirt had grown another head; quite small. The caption of the story was meant to convey that father and son were hugging while they were trying to illegally cross the Mexican-US border through the river, and they were still hugging after the death of their dreams and their bodies. It was a touching picture. 

Monday 10 June 2019

زخمی کہانیاں- کتاب پر تبصرہ

زخمی کہانیاں
از
ٹیپو سلمان مخدوم


انسان کی کہانی چاہے دیو کے بارے میں ہو یا لاش کے بارے میں، ہوتی انسان ہی کے بارے میں ہے۔ جب انسان کا دکھ انسان ہی سمجھ سکتا ہے تو پھر کوئی اورکیسے انسان کے بارے میں کہانی کہے؟ انسان کی کہانی انسان کو ہی کہنا پڑتی ہے۔ یہ اب کہنے والے پر منحصر ہے کہ وہ کہانی کس زاویے سے کہتا ہے۔ کہانی بھی تصویر کی طرح ہوتی ہے۔ کسی مصور کو قاتل دکھتا ہے، کسی کو مقتول، تو کسی کو قتل۔ اور کسی کو صرف موت!

Thursday 2 May 2019

بن مانس - پنجابی کہانی

بن مانس

لیکھک
مخدوم ٹیپو سلمان

اِک خیال اوہدے دماغ اُتے جیویں چِپک ای گیا سی۔ کہ اوہ کدی وی اپنی ووہٹی نال اِک نہیں سی ہویا۔ اوہ سوچدا بئی اوہ ووہٹی دی چمڑی دے بھیتر تے کدی وی نہیں سی وڑیا۔ جد وی اِک ہوئے، اوہ اپنی چمڑی وِچ رہیا تے ووہٹی اپنی وِچ۔ ایہہ ماس رگڑنا اِک ہونا تے نہیں ہوندا۔ ایسطرحاں دِیاں سوچاں سوچ سوچ کے اوہنوں عجیب جیہے اوپرے پن دا احساس ہوندا۔ اپنی ای ووہٹی توں دُوری دا۔ جِسراں اوہ دو پُگھانے ہون؛ رس بھرے پُگھانے۔ جدوں رَس بُہتا ہون لگے تے اِک دُوجے نُوں پئے دبن، تاں دب پین نال اپنی اپنی ٹُوٹی توں رَس تھوڑا کُو وگ جائے تے پریشر ہولا ہوجائے۔ پُگھانے توں اوہنوں ربڑ چیتے آندا، تے اوہنوں اپنی چمڑی وی ربڑ دی ای جاپن لگ پیندی۔ گوری گوری لچکدار ربڑ دی چمڑی، جیہنے اوہدی ہوند دے چار چفیرے بنھ بنھیا ہووے۔ "میری ہوند کدے وی ووہٹی نال اِک نہیں ہوئی؟" اوہ سوچدا۔ تے ایس سوچ نال ای اوہنوں ایسراں گھبرا پیندا جیویں پِنجرے وِچ اِکلّے قید اُڈویں پنچھی نُوں پیندا ہونا اے۔

Tuesday 2 April 2019

ایک صدی تمام ہوئی

ایک صدی تمام ہوئی

از
صدف سلمان مخدوم


کہنے کو عورت مگر اصل میں ایک صدی تمام ہوئی۔
بہت سی منزلیں طے کرتے  کرتے جھکی ہوئی سی صدی! کٹھور زمانے  سے لڑتی  ہوئی ۔ اپنی آنکھوں سے ڈھیروں خون خرابے دیکھتے ہوئے اپنی منزل  پر پہنچی تھی،  یہ صدی!  

Tuesday 19 March 2019

ماس - پنجابی کہانی

ماس

لیکھک
شاہد شبیر


شام دا ویلا سی تے کُتا سویر دا بھُکھا سی۔
فجرِیں بھانڈے دا مُونہہ کھُلّا سی پر اوہنُوں شرم نا آئی۔ تُن دِتّا تھُنّا ولٹوئے چ۔ مُونہہ مار نُوں گُجر ڈانگاں مار مار ، مار مار پِنڈوں باہر کڈھ دِتّا۔ بھُکھے ڈِڈھ نال دُکھدے پِنڈے دی سنگت، پیلیوں پیلی ٹُردیاں ان پانی لبھدیاں لبھدیاں اوہدی نظر ماس دے اِک ٹوٹے تے پئی۔ اوہنے جھٹ آل دوالے تکیا، دُور دُور کوئی نا دِسیا۔ اکھّاں وِچ لِشکارا تے مُونہہ چ پانی بھر کے، رِمکے رِمکے ماس ول ودھیا۔

Monday 4 February 2019

ਸਮ੍ਹਾ ਦਵਾਰ - ਪੰਜਾਬ ਤੇ ਉਹਦੇ ਰੰਗ (ਕਿਤਾਬ) - ਅੰਗ। 5 - ਯੁੱਧ


ਸਮ੍ਹਾ ਦਵਾਰ
ਪੰਜਾਬ ਤੇ ਉਹਦੇ ਰੰਗ
ਲੇਖਕ
ਟੀਪੂ ਸਲਮਾਨ ਮਖ਼ਦੂਮ



ਕਿਤਾਬ ਬਾਰੇ:

ਸੁਣਦੇ ਆਏ ਆਂ ਕਿ ਪੰਜਾਬੀ ਇੱਕ ਬੇ ਗ਼ੈਰਤ ਕੌਮ  ਜਦੋਂ ਵੀ ਕਿਸੇ ਫ਼ੌਜ ਨੇ ਉਥੇ ਹਮਲਾ ਕੀਤਾਪੰਜਾਬੀ ਲੜਨ ਦੇ ਬਜਾਏ ਉਹਦੇ ਅੱਗੇ ਹੱਥ ਬੰਨ੍ਹ ਕੇ ਖਲੋ ਗਏ
ਕੀ ਅਸਲੋਂ ਇੰਜ  ਹੋਇਆ ਸੀਜੇ ਇੰਜ ਨਹੀਂ ਸੀ ਹੋਇਆ ਤੇ ਫ਼ਿਰ ਤਰੀਖ਼ ਵਿਚ ਉਨ੍ਹਾਂ ਜੰਗਾਂ ਦੀ ਗੱਲ ਕਿਉਂ ਨਹੀਂ ਹੋਈ ਜਿਹੜੀਆਂ ਪੰਜਾਬੀਆਂ ਨੇ ਲੜੀਆਂ ਸਨ?
ਜੇ ਪੰਜਾਬੀ ਬੇ ਗ਼ੈਰਤ ਨਹੀਂ ਤੇ   ਆਪਣੀ ਮਾਂ ਬੋਲੀ ਕਿਉਂ ਛੱਡ ਦੇ ਜਾਂਦੇ ਨੇਂ?
ਪੰਜਾਬ ਨੇ  ਕਦੀ ਕੋਈ ਵੱਡਾ ਬੰਦਾ ਵੀ ਜੰਮਿਆ  ? 
ਪੰਜਾਬੀ ਰਹਿਤਲ ਏਸ ਜੋਗੀ ਹੈ ਵੀ ਕਿ ਇਹਦੇ ਤੇ ਮਾਣ ਕੀਤਾ ਜਾਵੇ?
ਇਹੀ ਗੱਲਾਂ ਬਾਤਾਂ ਨੇਂ ਏਸ ਕਿਤਾਬ ਵਿਚ?

ਸਮ੍ਹਾ ਦਵਾਰ - ਪੰਜਾਬ ਤੇ ਉਹਦੇ ਰੰਗ (ਕਿਤਾਬ) - ਅੰਗ। 2 - ਮਾਂ ਬੋਲੀ

ਸਮ੍ਹਾ ਦਵਾਰ
ਪੰਜਾਬ ਤੇ ਉਹਦੇ ਰੰਗ
ਲੇਖਕ
ਟੀਪੂ ਸਲਮਾਨ ਮਖ਼ਦੂਮ




ਕਿਤਾਬ ਬਾਰੇ:
ਸੁਣਦੇ ਆਏ ਆਂ ਕਿ ਪੰਜਾਬੀ ਇੱਕ ਬੇ ਗ਼ੈਰਤ ਕੌਮ  ਜਦੋਂ ਵੀ ਕਿਸੇ ਫ਼ੌਜ ਨੇ ਉਥੇ ਹਮਲਾ ਕੀਤਾਪੰਜਾਬੀ ਲੜਨ ਦੇ ਬਜਾਏ ਉਹਦੇ ਅੱਗੇ ਹੱਥ ਬੰਨ੍ਹ ਕੇ ਖਲੋ ਗਏ
ਕੀ ਅਸਲੋਂ ਇੰਜ  ਹੋਇਆ ਸੀਜੇ ਇੰਜ ਨਹੀਂ ਸੀ ਹੋਇਆ ਤੇ ਫ਼ਿਰ ਤਰੀਖ਼ ਵਿਚ ਉਨ੍ਹਾਂ ਜੰਗਾਂ ਦੀ ਗੱਲ ਕਿਉਂ ਨਹੀਂ ਹੋਈ ਜਿਹੜੀਆਂ ਪੰਜਾਬੀਆਂ ਨੇ ਲੜੀਆਂ ਸਨ?
ਜੇ ਪੰਜਾਬੀ ਬੇ ਗ਼ੈਰਤ ਨਹੀਂ ਤੇ   ਆਪਣੀ ਮਾਂ ਬੋਲੀ ਕਿਉਂ ਛੱਡ ਦੇ ਜਾਂਦੇ ਨੇਂ?
ਪੰਜਾਬ ਨੇ  ਕਦੀ ਕੋਈ ਵੱਡਾ ਬੰਦਾ ਵੀ ਜੰਮਿਆ  ? 
ਪੰਜਾਬੀ ਰਹਿਤਲ ਏਸ ਜੋਗੀ ਹੈ ਵੀ ਕਿ ਇਹਦੇ ਤੇ ਮਾਣ ਕੀਤਾ ਜਾਵੇ?
ਇਹੀ ਗੱਲਾਂ ਬਾਤਾਂ ਨੇਂ ਏਸ ਕਿਤਾਬ ਵਿਚ?

ਸਮ੍ਹਾ ਦਵਾਰ - ਪੰਜਾਬ ਤੇ ਉਹਦੇ ਰੰਗ (ਕਿਤਾਬ) - ਅੰਗ। 1 - ਪਹਿਲੀ ਗੱਲ


ਸਮ੍ਹਾ ਦਵਾਰ
ਪੰਜਾਬ ਤੇ ਉਹਦੇ ਰੰਗ
ਲੇਖਕ
ਟੀਪੂ ਸਲਮਾਨ ਮਖ਼ਦੂਮ


ਕਿਤਾਬ ਬਾਰੇ:
ਸੁਣਦੇ ਆਏ ਆਂ ਕਿ ਪੰਜਾਬੀ ਇੱਕ ਬੇ ਗ਼ੈਰਤ ਕੌਮ ਜਦੋਂ ਵੀ ਕਿਸੇ ਫ਼ੌਜ ਨੇ ਉਥੇ ਹਮਲਾ ਕੀਤਾ, ਪੰਜਾਬੀ ਲੜਨ ਦੇ ਬਜਾਏ ਉਹਦੇ ਅੱਗੇ ਹੱਥ ਬੰਨ੍ਹ ਕੇ ਖਲੋ ਗਏ
ਕੀ ਅਸਲੋਂ ਇੰਜ ਹੋਇਆ ਸੀ? ਜੇ ਇੰਜ ਨਹੀਂ ਸੀ ਹੋਇਆ ਤੇ ਫ਼ਿਰ ਤਰੀਖ਼ ਵਿਚ ਉਨ੍ਹਾਂ ਜੰਗਾਂ ਦੀ ਗੱਲ ਕਿਉਂ ਨਹੀਂ ਹੋਈ ਜਿਹੜੀਆਂ ਪੰਜਾਬੀਆਂ ਨੇ ਲੜੀਆਂ ਸਨ?
ਜੇ ਪੰਜਾਬੀ ਬੇ ਗ਼ੈਰਤ ਨਹੀਂ ਤੇ   ਆਪਣੀ ਮਾਂ ਬੋਲੀ ਕਿਉਂ ਛੱਡ ਦੇ ਜਾਂਦੇ ਨੇਂ?
ਪੰਜਾਬ ਨੇ  ਕਦੀ ਕੋਈ ਵੱਡਾ ਬੰਦਾ ਵੀ ਜੰਮਿਆ ? 
ਪੰਜਾਬੀ ਰਹਿਤਲ ਏਸ ਜੋਗੀ ਹੈ ਵੀ ਕਿ ਇਹਦੇ ਤੇ ਮਾਣ ਕੀਤਾ ਜਾਵੇ?
ਇਹੀ ਗੱਲਾਂ ਬਾਤਾਂ ਨੇਂ ਏਸ ਕਿਤਾਬ ਵਿਚ?